हेल्लो दोस्तों, आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे कि चेक बाउंस क्या है, चेक बाउंस होने पर क्या करना चाहिए? और चेक बाउंस होने पर कौन-सा बैंक कितना पैसा वसूलता है? (Penalty on Cheque Bounce) इन सभी सवालों के साथ-साथ और भी बातो को जानेंगे।
चेक बाउंस का मतलब क्या होता है?
अगर आपने किसी को चेक दिया है और वो आदमी बैंक में जाकर चेक जमा करता है और पैसे निकालने या अकाउंट में ट्रान्सफर करने के लिए रिक्वेस्ट करता है और उस समय आपके अकाउंट में उतना या उससे ज्यादा पैसे नहीं है तो बैंक उस चेक को बाउंस मान लेती है और पैसे देने से (Dishonour) माना कर देती है। इसको ही चेक बाउंस होना कहते हैं। जब कोई चेक बाउंस होता है, तो बैंक एक स्लिप चेक के साथ जोड़ कर वापस करती है। इस स्लिप में चेक बाउंस होने का कारण लिखा रहता है।
चेक बाउंस किस कंडीशन होता है?
1. चेक देने वाले के बैंक अकाउंट में अपर्याप्त फंड- Insufficient funds in the payer’s bank account.
2. हस्ताक्षर का ना मिलना – Signature mismatch.
3.अकाउंट नंबर का ना मिलना – Account number mismatch.
4. चेक पर तारीख का ना होना- Check date missing.
5. शब्दों और संख्याओं में अमाउंट का ना मिलना – Mismatch in the amount in words and numbers.
6. ख़राब या कटी-फटी चेक – Disfigured or damaged cheque.
7. ओवरड्राफ्ट की लिमिट पार करना – Crossing limit of the overdraft.
8. चेक देने वाले का गलत,ओवरराइटिंग हस्ताक्षर – Scribbling, overwriting or omissions on the cheque.
9. चेक का समय सीमा समाप्त हो जाना – Expired Cheque.
10. किसी वजह से अकाउंट का बंद या ब्लाक होना – Account is closed or Frozen.
11. चेक देने वाले के द्वारा पेमेंट करने से रोक दिया जाना – Payment stopped.
12. चेक देने वाले की मृत्यु या पागलपन – Death or insanit.
13. किसी कंपनी द्वारा दिए गए चेक पर कंपनी का मुहर ना होना – The seal of the company is missing on the cheque issued by a company.
14. जाली चेक का अंदेशा – Suspicion of a fraud cheque.
चेक बाउंस होने पर आपका चेक बुक और बैंक अकाउंट भी बंद हो सकता है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि बैंक अकाउंट या चेक बुक तभी बंद किया जा सकता है, जब 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक अमाउंट के चेक चार बार से ज्यादा बाउंस हो गए हों।
अगर चेक बाउंस हो जाता है क्या करें, जिससे कि आपका पैसा वापस मिल जाये.
अगर चेक बाउंस हो जाता है, तो सबसे पहले एक महीने के अंदर चेक देने वाले को एक लीगल नोटिस भेजना होता है। इस नोटिस में कहा जाता है कि उसने जो चेक जारी किया था वो चेक बाउंस हो गया है अब वो 15 दिन के अंदर चेक की अमाउंट प्राप्त करता को दे दे।
नोटिस भेजने के बाद 15 दिन तक अमाउंट प्राप्त करता को इंतजार करना होता है यदि चेक देने वाला 15 दिन के अन्दर चेक अमाउंट दे देता है तो यह मामला यहीं सुलझ जाता है। अगर चेक देने वाला पैसे देने से मना कर देता है या लीगल नोटिस का जबाब नहीं देता है तो Negotiable Instruments Act, 1881 (Originally published: 9 December 1881) की धारा-138 के तहत सिविल कोर्ट में केस दर्ज कर सकते हैं।
क्या चेक बाउंस होना एक अपराध है?
चेक बाउंस होना Negotiable Instruments Act, 1881 (Originally published: 9 December 1881) की धारा-138 के तहत निर्धारित, एक अपराध है। हालांकि, चेक बाउंस होने की स्थिति में, पीड़ित पक्ष आरोपी के खिलाफ आपराधिक और साथ ही मुकदमा दर्ज कर सकता है। इसके तहत चेक देने वाले (आरोपी) को 2 साल की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है। यहाँ जुर्माने का पैसा चेक चेक अमाउंट का दोगुना हो सकता है।
कौन-सा बैंक कितना पेनाल्टी वसूल करता है? (Penalty on Cheque Bounce)
अकाउंट में फंड ना होने पर अकाउंट होल्डर से बैंक पेनाल्टी वसूलता है। अगल-अलग बैंकों में ये पेनाल्टी अगल-अलग होते हैं। यहाँ हम आपको कुछ बैंकों द्वारा वसूल किये जाने वाले पेनाल्टी बारे में बताएंगें।
भारतीय स्टेट बैंक – SBI
भारतीय स्टेट बैंक अलग-अलग अमाउंट पर अलग-अलग पेनाल्टी वसूल करता है। 1 लाख तक के चेक पर भारतीय स्टेट बैंक GST के साथ 150 रूपये की पेनाल्टी वसूल करता है। 1 लाख से ऊपर के चेक पर यह अमाउंट GST के साथ 250 रुपये हो जाता है।
पंजाब नेशनल बैंक – PNB
पंजाब नेशनल बैंक अलग-अलग अमाउंट पर अलग-अलग पेनाल्टी वसूल करता है। 1 रुपया से 1 करोड़ तक के चेक पर पंजाब नेशनल बैंक GST के साथ 300 रूपये की पेनाल्टी वसूल करता है। 1 करोड़ से ऊपर के अमाउंट पर या 1 महीने के अन्दर दूसरा चेक बाउंस होने पर 2000 रूपये की पेनाल्टी वसूल करता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा – BOB
अगर 1 लाख रुपये तक का चेक बाउंस होता है तो बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) अकाउंट होल्डर से 250 रुपये का पेनाल्टी वसूल करता है। 1 लाख से 1 करोड़ रुपये तक अमाउंट के लिए 750 रुपये पेनाल्टी वसूल करता है।
आईसीआईसीआई बैंक – ICICI
फाइनेंसियल कारणों के वजह से चेक बाउंस होता है तो ICICI बक 100 रुपये का पेनाल्टी वसूल करता है। कस्टमर की ओर से दिए गए चेक वित्तीय कारणों से बाउंस होता है तो 750 रुपये बैंक पेनाल्टी वसूल करता है।
एच डी एफ सी बैंक – HDFC
HDFC बैंक अकाउंट में पर्याप्त अमाउंट न होने पर जब चेक बाउंस होता है तो HDFC बैंक 500 रुपये पेनाल्टी वसूल करता है। फंड ट्रांसफर के चलते चेक बाउंस होने पर यह चार्ज 300 रुपये होता है। तकनीकी वजह से चेक बाउंस होता है तो HDFC बैंक 150 रूपये का पेनाल्टी वसूल करता है।
एक्सिस बैंक – Axis Bank
एक्सिस बैंक अकाउंट में पर्याप्त अमाउंट न होने पर जब चेक बाउंस होता है तो Axis Bank बैंक 500 रुपये पेनाल्टी वसूल करता है।
कोटक महिंद्रा बैंक – Kotak Mahindra Bank
बैंकोटक महिंद्रा बैंक अकाउंट में पर्याप्त अमाउंट न होने पर जब चेक बाउंस होता है तो Kotak Mahindra Bank 1000 रुपये पेनाल्टी वसूल करता है।
बैंक ऑफ़ इंडिया – BOI
बैंक ऑफ़ इंडिया चेक बाउंस होने पर 350 रूपये का पेनल्टी वसूल करता है, 1 महीने के अन्दर उसी कारण से चेक बाउंस होता है तो 750 रूपए का पेनल्टी वसूल करता है।
यूको बैंक – UCO Bank
यूको बैंक अलग-अलग अमाउंट पर अलग-अलग पेनाल्टी वसूल करता है। UCO Bank 1 लाख रुपया तक के अमाउंट पर 177 रूपये और 1 लाख से ऊपर के अमाउंट पर 590 रुपये की पेनाल्टी यूको बैंक वसूल करता है।
केनरा बैंक – Canara Bank
केनरा बैंक 1 करोड़ रूपये तक के चेक बाउंस होने पर 500 रूपये का पेनल्टी वसूल करता है, 1 करोड़ रूपये से ऊपर के अमाउंट पर 1000 रूपए का पेनल्टी वसूल करता है।
सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया – Central Bank of India
सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया चेक बाउंस होने पर 350 रूपये की पेनल्टी वसूल करता है। 1 महीने के अन्दर उसी कारण से चेक बाउंस होता है तो 750 रूपए का पेनल्टी वसूल करता है।
बंधन बैंक – Bandhan Bank
बंधन बैंक चेक बाउंस होने पर 350 रूपये की पेनल्टी वसूल करता है। 1 महीने के अन्दर उसी कारण से चेक बाउंस होता है तो 750 रूपए का पेनल्टी वसूल करता है।
आई डी बी आई – IDBI Bank
आई डी बी आई बैंक चेक बाउंस होने पर 225 रूपये का पेनल्टी वसूल करता है।
इंडियन बैंक – Indian Bank
इंडियन बैंक चेक बाउंस होने पर 350 रूपये की पेनल्टी वसूल करता है। 1 महीने के अन्दर उसी कारण से चेक बाउंस होता है तो 750 रूपए का पेनल्टी वसूल करता है।
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